अगर तुम्हारे पास दो रुपये हैं, तो एक रुपये की रोटी और एक रुपये की किताब खरीद लो। रोटी तुम्हे जीने में मदद करेगी , और किताब जीना कैसे है यह सिखाएगी – डॉ भीमराव अम्बेडकर …………….. ………………………… 'जब हम संगठित हुए तो सारी दुनिया पे छा गए जब हम बिखरे तो ठोकरों पे आ गए' कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन दौर ए जहां हमारा