हमारे बहुजन छात्रों का नेतृत्व जब तक सवर्णो के हाथो में रहेगा, तब तक हमारी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, हमारी लड़ाई सिर्फ छात्रवर्ती या हॉस्टल रूम मिलने तक सिमित नहीं है, बल्कि हमें हर उस व्यवस्था में परिवर्तन चाहिए जो हमारे छात्रों को होस्टल में खुदखुशी करने को मजबूर करती है, जातीय उत्पीडन और अस्सेस्मेंट में स्वर्ण छात्रों के मुकाबले बहुजन छात्रों के कम नंबर लगाना स्वर्ण अध्यापको की जातीय मनोरोग से बीमार होने के लक्षण है, इस व्यवस्था का अंत करने के लिए हमारे बहुजन छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर एक सोच, एक आंदोलन और एक नीति के तहत इकठ्ठा होकर लड़ना ही होगा.
जब समस्याएं हमारी है तो हम ही उससे अच्छे से निपट सकते है, मंच हमारा, समस्याएं हमारी, आंदोलन हमारा, तो नेतृत्व भी हमारा ही होगा.
DASFI ने बहुजन छात्रों को आवाज़ दी है, स्वर्णो की सारी राजनीति दलित-पिछडो और अल्पसंख्यक युवाओ के कारण जमी हुई है, अम्बेडकरी आंदोलन से जुड़े साथी एक दिन स्वर्णो की गलत बनाई व्यवस्था और उनकी राजनीति को ना सिर्फ ख़त्म करेगे, बल्कि उसे हमेशा के लिए दफ़न कर देगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
जय भीम.
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संजय बौद्ध
राष्ट्रीय अध्यक्ष,
डॉ आंबेडकर स्टूडेंट फ्रंट ऑफ़ इंडिया (DASFI)
नेतृत्व.
( डा. अम्बेडकर स्टूडेंट फ्रंट ऑफ़ इंडिया ( DASFI ) के
सभी कालेजों में, छात्र- आंदोलन को समर्पित )
मंच हमारा, समस्याएं हमारी तो आंदोलन भी अब हमारा रहेगा,
निपट सकते हैं अपनी समस्यायों से भी नेतृत्व जब हमारा रहेगा |
बहुजन छात्रों ने भी आज मिलकर आवाज़ दी है,
कालेजों में भी सवर्ण- समस्या को आवाज़ दी है |
शोषित- दलित, पिछड़े- आदिवासी सभी ने मिल
उस राजनीति को दफ़न करने को आवाज़ दी है |
परिवर्तन हो उनकी उन व्यवस्थाओं में ये उद्देश्य हमारा रहेगा ||
मंच हमारा, समस्याएं हमारी तो आंदोलन भी ….
ख़ुदकुशी करने को जिसने हमें आज मज़बूर किया है,
जाति- उत्पीडन सहने को जिसने हमें मज़बूर किया है |
परीक्षाओं में कम- नंबर दे गिराया है उसने आज तक
‘अस्सेस्मेंट’ कर पीछे रखने को उसने मज़बूर किया है |
बीमार है बूढी पड़ी है व्यवस्था में वह अब मर करके रहेगा ||
मंच हमारा, समस्याएं हमारी तो आंदोलन भी …
सोच जागी है हमारी अब हमें एक होके लड़ना है,
सभी धम्म- अम्बेडकरवादियों को साथ लड़ना है |
अम्बेडकर को भी रहने दिया था प्यास से प्यासा
प्यासे विश्वास से आंदोलन को एक हो लड़ना है |
कुचलना है, दफ़न करना है कोई विद्यार्थी अब यहां न मरेगा ||
मंच हमारा, समस्याएं हमारी तो आंदोलन भी …
धोबी- धानुक, चमार- खटीक ये सब एक होगा,
शोषित- पिछड़ा सब साथ आकर के एक होगा |
८५% स्टूडेंट फ्रंट जब अपना ये आंदोलन लड़ेगा
तब सवर्ण अध्यापकों के आतंक से स्वतंत्र होगा |
हम सब गुजरे हैं गन्दी वर्ण- व्यवस्था से अब वो दबंग न रहेगा ||
मंच हमारा, समस्याएं हमारी तो आंदोलन भी …
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रामबाबू गौतम ‘आरज़ी’, न्यू जर्सी
( अगस्त ३१, २०१६ )
Very nice keep it up
एक बहुत ही सराहनीय कदम
सफलता की ओर बढ़ते हुए
समाज में जागरूकता लाते हुए।।
जय भीम
नमो बुद्धाय
Choturam inko Ambedkar se pyara hai…smaaj ko disha dikhayenge…Ticket ka jugaad aur chanda…..pehli prathmikta.
Namste india