अहमदाबाद: मेहसाणा के डॉ. नयन नंदाबेन जयंतीलाल पेशे से डॉक्टर हैं, लेकिन फिलहाल आईएएस की तैयारी कर रहे हैं. वर्ष 2013 में कौन बनेगा करोड़पति में जब उन्होंने 25 लाख रुपये जीते थे, तब इनका नाम नयन सोलंकी था, लेकिन अभी कुछ दिन पहले उन्होंने अपना सरनेम हटाकर माता-पिता का नाम जोड़ लिया है. मकसद है जाति व्यवस्था की निशानी को हटा देना औऱ साथ ही लिंगभेद के खिलाफ भी लड़ाई.
नयन कहते हैं कि उनके जन्म से लेकर उनके पूरे विकास में उनके माता और पिता दोनों का ही योगदान है तो हर जगह सर्टिफिकेट में सिर्फ पिता का नाम ही क्यों आता है.. दोनों को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए. वो कहते हैं, ‘ये तो एक शुरुआत है, अगर ऐसे और विचार लेकर समाज आगे बढे़गा तो जाति व्यवस्था जैसी बुराईयां समाज के अंदर से खत्म की जा सकती हैं’.
ये पूरी मुहिम चला रहे हैं दलितों के कुछ संगठन. ऊना कांड के बाद बनी संघर्ष समिति के कार्यकर्ता कौशिक मंजुला बाबुभाई का कहना है कि ‘ये लड़ाई जाति व्यवस्था और लिंगभेद दोनों के खिलाफ है. वो कहते हैं कि ये विचार पहले से ही चल रहा है, लेकिन ऊना कांड में जाति व्यवस्था के नाम पर दलितों के साथ जो बर्बरता नजर आई, उसके बाद इस विचार का अमल तेज़ हो गया है.
उनका दावा है कि अब तक करीब 50 से ज्यादा लोग ये विचार अपना चुके हैं, जिसमें पूरे गुजरात से डॉक्टर, वकील समेत कई ऐसे लोग हैं, जो जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ना चाहते हैं.
दलित संगठन आने वाले समय में इस मुहिम को लेकर और भी कार्यक्रम करने वाले हैं, लेकिन इन्हें लगता है कि सवर्ण लोग भी अगर जुड़ें तो समाज सुधार में और भी सफलता मिल सकती है.
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