बौद्धों को इतनी सदियों में भी समझ में नहीं आया की " दुनिया 'शक्ति' का सम्मान करती है साथ देती है , बाकि सब कोरी बातें हैं " इसीलिए आज भी दलित हैं , आगे भी जब तक समझ में नहीं आएगा दलित ही बने रहेंगे ,चाहे कितनी भी अच्छी बातें कहते सुनते रहे।अगर बौद्ध धम्म के नाम पर आप ज्ञानी/व्यापारी/योद्धा बनने की जगह भेड़ बकरी बनने की ट्रेनिंग ले रहे हो तो आपकी क़ुरबानी या दलितीकरण निश्चित है